About: This writing is about all of us. We all have best friends, right ! Apart from these best friends
all of us have mediocre, neither the best friends nor the friends. This writing is from perspective of a human being (मैं) and addressing the situation of all the mediocre in our life.
मेरा - human being
वो कुछ चंद लोग जो खुद को मेरा दोस्त कहते हैं
अगर एक दूसरे से जलन रखने को
तुम दोस्ती कहते हो , तो तुम मेरे दोस्त नहीं
तुम दोस्ती कहते हो , तो तुम मेरे दोस्त नहीं
अगर कुछ बातें जान कर
समय आने पर उनका इस्तेमाल करना जानते हो
समय आने पर उनका इस्तेमाल करना जानते हो
और खुद को मेरा दोस्त कहते हो तो तुम मेरे दोस्त नहीं
अगर मेरी ही पीठ पीछे ताने बाने बुनते हो
और खुद को मेरा दोस्त कहते हो
तो तुम मेरे दोस्त नहीं
तो तुम मेरे दोस्त नहीं
अगर "Being practical" के नाम पर
समय आने पर खिसक लेते हो
समय आने पर खिसक लेते हो
और दोस्ती के दावे करते हो,
तो प्यारे, तुम मेरे दोस्त नहीं
तो प्यारे, तुम मेरे दोस्त नहीं
अगर, मेरी तारीफें सुन कर
कानों मे अंगुलियां डाल लेते हो
कानों मे अंगुलियां डाल लेते हो
और खुद को मेरा दोस्त कहते हो,
तो तुम मेरे दोस्त नहीं
तो तुम मेरे दोस्त नहीं
वो कुछ चंद लोग, लोग ही रहे तो बेहतर
क्यूंकि दोस्ती का ज़ायका तो हम ले चुके हैं
ऐसा स्वाद तो न था
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