कुछ पल ज़िन्दगी के
मेरे बचपन वाले लौटा दो
भरी दोपहरी का
वो सुनहरा रंग फैला दो. .
अजीब कश्मक़श सी
बोझिल ज़िन्दगी में
वो सावन का ऊँचा झूला झुला दो
पैसों से चलने वाली इस दुनिया में
मुझे वो गुल्लक वाला अमीर बना दो. .!!
कुछ पल ज़िन्दगी के
मेरे बचपन वाले लौटा दो
भीड़ भरी इन सड़कों पर
वो गली क्रिकेट की पिच बना दो
होमवर्क ख़त्म करने की
वो सबसे बड़ी टेंशन दिला दो
रोबोटिक्स की इस बेजान दुनिया में
Waaaaoo 🙂🙂
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