पासबान= Guard , रूहानियत =soulful
दफन रखता हूँ,
मिला करती हैं ज़रूरते आज कल.
रूहानियत का दौर न रहा.
मकानों से जो निकले नहीं
कई राज़ दिल में.
पासबान कम.
और तमाशबीन बहुत हैं.
मिला करती हैं ज़रूरते आज कल.
रूहानियत का दौर न रहा.
मकानों से जो निकले नहीं
वो उड़ना सिखाते हैं
हम टूट कर फिर उड़े हैं,
ये हम बताते हैं.
फेंक न उस तीली के सिरहाने को.
काम आएंगे,
सूनी आँखों को सजाने के .
दीवार की उस दरार से पूछ.
क्या सुन बैठी वो .
जो चटकने लगी.
होंठों पर शक्कर और दिल में गुब्बार रखते हैं.
ये मीठे तंज कसने वाले क्या वार करते हैं.
खर्च करते करते पैसा. हुआ खर्च कितना मैं.
महफ़िलों में जाकर बड़ी बड़ी बातें किया करते हैं
जो गर रोटी देनी पड़े गरीब को तो
जो गर रोटी देनी पड़े गरीब को तो
चिटकनियाँ लगा लिया करते हैं
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