1. कभी दिल दुखता हैं.
कभी दिल दुखाता हूँ.
ये ज़िन्दगी है.
इसे यूँ ही जीते जाता हूँ.
कुछ वक़्त चाहिए.
आसमान भी झुकते हैं
कुछ धैर्य चाहिए.
बीज जो आज बो दोगे
पेड़ बन कल लहलहाएगा.
कुछ खाद और कुछ संघर्ष चाहिए.
7. ज़िन्दगी में बड़ी चीज़ नहीं.
बड़ी सीख चाहिए.
8. इतनी सी बात है.
कुछ से हम परेशां है.
कुछ हमसे परेशां हैं.
9. कलंदर न समझिए खुद को महफ़िलों का.
यहाँ बैठा हर इंसान सिकंदर है.
10. छोड़ देंगे साथ नैन, जुबा का.
कुछ तो होगा हर्ज़ाना मन के मैल का.
11. अमीर हो तो गलत
गरीब हो तो सही..
ये ज़रूरी तो नहीं.
गरीब, लाचार ही क्यूँ अक्सर सच्चे लगते हैं.
और क्यूँ अमीर बेईमान से दिखते हैं.
कभी दिल दुखाता हूँ.
ये ज़िन्दगी है.
इसे यूँ ही जीते जाता हूँ.
2. महक उठती है जो मिट्टी बारिश की छुवन से.
बेकाबू हो जाये पवन की नज़र से.
4. काश कि बनूं मैं भी बेफिक्र परिंदा.
3. पेड़ बूढ़े हो चलेंगे.
नए पोंधे आएंगे.
परिवर्तन ही नियम हैं.
कभी तुमको तो कभी हमको सर-आँखों पर बिठाएंगे.
न आज की फ़िक्र, न ही कल का ज़िक्र.
5.जब से दरिया को लहरों से लड़ते देखा है.
अंगारों को ठंडक सा शीतल पाया है.
6. ख्वाब पूरे होते हैं.
मैंने ये हिसाब अपने व्यक्तित्व में जोड़ा है.
किसी का अंदाज़ा उसके रूप से करना छोड़ा है.
कुछ वक़्त चाहिए.
आसमान भी झुकते हैं
कुछ धैर्य चाहिए.
बीज जो आज बो दोगे
पेड़ बन कल लहलहाएगा.
कुछ खाद और कुछ संघर्ष चाहिए.
7. ज़िन्दगी में बड़ी चीज़ नहीं.
बड़ी सीख चाहिए.
8. इतनी सी बात है.
कुछ से हम परेशां है.
कुछ हमसे परेशां हैं.
9. कलंदर न समझिए खुद को महफ़िलों का.
यहाँ बैठा हर इंसान सिकंदर है.
10. छोड़ देंगे साथ नैन, जुबा का.
कुछ तो होगा हर्ज़ाना मन के मैल का.
11. अमीर हो तो गलत
गरीब हो तो सही..
ये ज़रूरी तो नहीं.
गरीब, लाचार ही क्यूँ अक्सर सच्चे लगते हैं.
और क्यूँ अमीर बेईमान से दिखते हैं.
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